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बीकानेर

राजनीति, नेताओं और शासन-प्रशासन की कमियों पर होंगे करारे व्यंग्य

होलाष्टक में मंचित होली वाली रम्मतों का अभ्यास प्रारंभ हो गया है। अष्टमी को स्वांग मेहरी रम्मत फक्कड़दाता से रम्मतों का आगाज होगा। होलाष्टक में शहर के वि​भिन्न स्थानों पर हेडाऊ मेहरी, नौटंकी शहजादी, अमर सिंह राठौड़, भक्त पूरणमल और स्वांग मेहरी रम्मतों के मंचन होंगे। स्वांग मेहरी रम्मतें अपने तीखे और कटाक्ष भरे ख्याल गीतों के लिए प्रसिद्ध है। ख्याल गीतों के जुड़ने और अभ्यास का क्रम प्रारंभ हो चुका है।

बीकानेरFeb 22, 2025 / 11:38 pm

Vimal

बीकानेर. होलाष्टक में मंचित होने वाली रम्मतों में स्वांग मेहरी रम्मतों का प्रमुख स्थान है। बारह गुवाड़ चौक की उस्ताद दासी महाराज ओझा की स्वांग मेहरी रम्मत और कीकाणी व्यास चौक की उस्ताद जमना दास कल्ला की स्वांग मेहरी रम्मत का मंचन होता है। प्रेम एवं श्रृंगार रस से ओत प्रोत चौमासा गीत तथा करारे व्यंग्य करते ख्याल गीतों के लिए यह रम्मतें दशकों से प्रसिद्ध है। उस्ताद दासी महाराज ओझा की स्वांग मेहरी रम्मत का अभ्यास रम्मत के वरिष्ठ कलाकारों के मार्गदर्शन में चल रहा है। रम्मत कलाकार विजय कुमार ओझा के अनुसार रम्मत का मंचन 11 मार्च को भगवान गणेश स्वरूप के अखाड़े में पदार्पण व स्तुति गान के साथ होगा। स्वांग पात्र अच्छे जमाने के शगुन मनाएंगे। पारंपरिक गीत-नृत्यों की प्रस्तुतियां होंगी। रम्मत में लावणी, चौमासा और ख्याल गीतों का गायन होगा। ‘ख्याल’ गीत में राजनीति, नेताओं, शासन-प्रशासन की कमियों, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, देश और विदेश के ज्वलंत मुद्दों आदि पर सार्वजनिक रूप से कटाक्ष गीत के माध्यम से किए जाएंगे।

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होलाष्टक में कीकाणी व्यास चौक में उस्ताद जमना दास कल्ला की स्वांग मेहरी रम्मत का मंचन होगा। चौथाणी ओझा चौक में रम्मत के वरिष्ठ कलाकार एडवोकेट मदन गोपाल व्यास के निर्देशन में रम्मत का अभ्यास चल रहा है। रम्मत कलाकार मदन गोपाल व्यास के अनुसार अखाड़े में मां लटियाल स्वरूप के पदार्पण के साथ रम्मत का आगाज होगा। श्रद्धालु व कलाकार मां लटियाल की स्तुति वंदना करेंगे। रम्मत का मंचन 10 मार्च की रात प्रारंभ होगा व 11 मार्च की सुबह तक चलेगा। चौमासा व ख्याल गीतों का गायन तथा पारंपरिक गीत-नृत्यों की प्रस्तुतियां होगी। रम्मत कलाकार अभ्यास में जुटे हुए हैं। रम्मत कलाकार एडवोकेट मदन गोपाल व्यास के अनुसार ‘ख्याल’ गीत के माध्यम से राजनीति, शासन-प्रशासन में आई कमियों पर सार्वजनिक रूप से व्यंग्य किए जाएंगे।
करारे व्यंग्य के लिए प्रसिद्ध

होलाष्टक में मंचित होने वाली उस्ताद दासी महाराज ओझा व उस्ताद जमना दास कल्ला की रम्मतें रियासत काल से अपने कटाक्ष भरे ख्याल गीतों के लिए प्रसिद्ध रही है। रम्मत मंचन के दिन बड़ी संख्या में शहरवासी रम्मत स्थलों पर ख्याल गीतों को सुनने के लिए पहुंचते है। रम्मतों का अभ्यास बसंत पंचमी से चल रहा है। रम्मत मंचन के दिन रम्मत उस्तादों और वरिष्ठ कलाकारों के निर्देशन में रम्मत कलाकार ख्याल गीतों का गायन करते है।

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