दरअसल, वासुदेव देवनानी ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी पर मंत्री की टिप्पणी को लेकर सदन के अंदर मचे हंगामे पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि सदन में गतिरोध के लिए पूरी तरह विपक्ष दोषी है। मैंने गतिरोध दूर करने की पूरी कोशिश की, लेकिन समझौते के अनुसार कांग्रेस विधायकों ने अपनी बात का पालन नहीं किया। सदन में अपनी इस बात को कहते हुए विधानसभा अध्यक्ष का दो बार गला भर आया और आंसू भी छलक गए।
स्पीकर देवनानी सदन में हुए भावुक
विधानसभा में इस गतिरोध के बीच अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि जिस तरह की भाषा कल बोली गई, उससे मैं बेहद आहत हूं। ऐसा सदस्य विधानसभा में रहने योग्य नहीं है। ऐसा बोलते-बोलते देवनानी की आंखों में आंसू आ गए, उन्होंने कहा कि अब से कोई भी सदस्य यदि आसन की गरिमा भंग करेगा, तो वह स्वतः निलंबित माना जाएगा। देवनानी बोले कि अगर कोई भी सदस्य स्पीकर के डायस तक पहुंचेगा या अमर्यादित व्यवहार करेगा, तो उसे स्वतः ही निलंबित मान लिया जाएगा। अब इसके लिए कोई प्रस्ताव लाने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने कहा मैंने कभी पक्षपात नहीं किया और न करूंगा। आपने एक छोटे से कार्यकर्ता को स्पीकर की कुर्सी तक पहुंचाया, लेकिन मैं ऐसे शब्द सुनने के लिए अध्यक्ष नहीं बना हूं। स्पीकर के इस भावुक बयान के बाद सदन में कुछ देर के लिए सन्नाटा पसर गया।
वासुदेव देवनानी ने विधानसभा के अंदर ही कांग्रेस के निलंबित विधायक गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा आसन को देखकर अपशब्द कहे जाने पर भी गहरी चिंता जताई। कहा कि आसन का सम्मान होना चाहिए और उन्हें लगता है कि ऐसे जनप्रतिनिधि को कभी भी सदन में आने का अधिकार ही नहीं होना चाहिए। हालांकि यह बात सदन तय करेगा कि ऐसे आचरण वाले विधायक के खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी चाहिए।
सदस्यता रद्द करने की उठी मांग
स्पीकर देवनानी के भावुक बयान के बाद सत्ता पक्ष के कुछ विधायकों ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की सदस्यता रद्द करने की मांग उठाई। बीजेपी विधायकों ने कहा कि अगर कोई सदस्य बार-बार सदन की गरिमा भंग करता है, तो उसकी सदस्यता पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
स्पीकर के चेंबर में पहुंचे मुख्यमंत्री
स्पीकर देवनानी के भावुक होने के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा उनके चेंबर में पहुंचे। उनके साथ विधानसभा में मौजूद कई मंत्री और बीजेपी विधायक भी पहुंचे। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने स्पीकर से मुलाकात कर सदन की गरिमा बनाए रखने और गतिरोध खत्म करने को लेकर चर्चा की।
कांग्रेस ने दिया गेट पर धरना
विधानसभा में जारी सियासी घमासान के बीच कांग्रेस ने सदन का बहिष्कार कर दिया। कांग्रेस विधायकों ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में विधानसभा के पश्चिमी गेट पर धरना दिया। इस धरने में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सहित कांग्रेस के सभी 66 विधायक शामिल रहे। धरना स्थल पर इंदिरा गांधी का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान के नारे गूंजते रहे।
क्या है विवाद की जड़?
21 फरवरी को विधानसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने इंदिरा गांधी पर एक टिप्पणी की, जिसे कांग्रेस ने अपमानजनक बताया। इस बयान के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने सदन में हंगामा किया और स्पीकर की टेबल तक पहुंच गए। इसके बाद स्पीकर ने कांग्रेस के छह विधायकों को निलंबित कर दिया, जिनमें गोविंद सिंह डोटासरा, रामकेश मीणा, अमीन कागजी, जाकिर हुसैन गैसावत, हाकम अली खान और संजय कुमार शामिल थे।