राजस्थानी भाषा नहीं संस्कृति है, धरोहर है – पद्मश्री सी.पी देवल
राजस्थानी की संस्कृति समृद्ध है और संस्कृति को नई पीढ़ी को तभी दे पाएंगे, जब हम इस भाषा को उचित सम्मान देंगे। बुक फेयर में राजस्थानी भाषा से जुड़े सत्र में वक्ताओं ने यह बात कहीं। कवि एवं लेखक पद्मश्री सी.पी देवल ने कहा कि राजस्थानी भाषा नहीं संस्कृति है, धरोहर है।नई पीढ़ी राजस्थानी शब्दावली से अपरिचित
पद्मश्री सी.पी देवल ने कहा कि विभिन्न राज्यों का निर्माण भाषा के आधार पर हुआ और उनकी भाषा को मान्यता प्राप्त कर उस भाषा को सम्मान दिया गया, लेकिन राजस्थानी को मान्यता नहीं दिया गया। नई पीढ़ी राजस्थानी शब्दावली, रीति रिवाजों से जुड़ी शब्दावली से परिचित नहीं है। उन्होंने कहा कि सन् 2003 में राजस्थान विधानसभा में सर्वसम्मति से राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा, लेकिन इसका जवाब भी नहीं दिया गया।Patrika Book Fair : दूसरे दिन भी उमड़ा पुस्तक प्रेमियों का सैलाब, विदेशियों को भी लुभा रहा मेला
मायड़ भाषा की इज्जत क्यों नहीं?
कवि और लेखक मालचंद तिवाड़ी ने कहा कि मायड़ भाषा राजस्थानी हमें संस्कार देकर संवारती है, उसकी उपेक्षा कर उसका अपमान किया जा रहा है। राजस्थानियों को राजस्थानी भाषा बोलने में शर्म नहीं, बल्कि गर्व महसूस करना चाहिए।विशेषज्ञ : पद्मश्री सी.पी. देवल, मालचंद तिवाड़ी