मंत्री खर्रा बुधवार को आवासन मंडल में डेनमार्क के राजदूत रासमस अबिलगार्ड और उनकी टीम के साथ आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में उदयपुर और डेनमार्क के शहर आरहस के बीच ‘सिटी टू सिटी कोलैबोरेशन’ के अंतर्गत एमओयू साइन हुआ था, जो वर्ष 2030 तक प्रभावी रहेगा। इस समझौते के तहत उदयपुर, जयपुर और नवलगढ़ जैसे शहरों में एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन, वेस्ट वाटर को संसाधन के रूप में उपयोग करने, नदियों के जीर्णोद्धार और जलापूर्ति प्रणाली में सुधार जैसे कार्य किए जा रहे हैं।
खर्रा ने बताया कि डेलावास और उदयपुर एसटीपी (स्टूल ट्रीटमेंट प्लांट) में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वेस्ट वाटर को संसाधन के रूप में उपयोग करने का कार्य चल रहा है। वहीं, गुमानिया नाला, उदयपुर में नदियों के जीर्णोद्धार का कार्य प्रगति पर है। नवलगढ़ को पायलट सिटी के रूप में लेकर एकीकृत जल प्रबंधन पर कार्य किया जा रहा है।
बैठक में डेनमार्क के राजदूत रासमस अबिलगार्ड ने राजस्थान सरकार द्वारा किए जा रहे सतत विकास कार्यों की सराहना की। उन्होंने विशेष रूप से उदयपुर में नदियों के पुनरोद्धार और डेलावास एसटीपी में वेस्ट वाटर प्रबंधन को “आदर्श मॉडल” बताया।
प्रमुख शासन सचिव वैभव गालरिया ने कहा कि शहरी परिवहन व्यवस्था को भी मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक में निजी वाहनों की संख्या 19 लाख से बढ़कर 38 लाख हो गई है, जिससे ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। उन्होंने डेनमार्क के साथ मिलकर स्मार्ट अर्बन ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित करने की आवश्यकता जताई।