दर्द भी होगा कम
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तकनीक के जरिये ट्रांसप्लांट करने से मरीज को छोटा चीरा लगाया जाएगा। इससे उसे दर्द भी कम होगा और उसकी रिकवरी जल्दी होगी। कहा जा रहा है कि इसमें रक्तस्राव भी कम होगा। खास बात है कि इस तरह की सर्जरी में रोबोटिक आर्म्स और कैमरे का उपयोग किया जाता है। रोबोटिक आर्म्स पर लगे हाई-डेफिनिशन 3-डी कैमरा लगा होता है। इससे सर्जन शरीर के भीतरी हिस्से को स्पष्ट देख पाता है।दूसरे राज्यों के मरीजों को भी मिले लाभ
अस्पताल में रोबोट को स्थापित किए तीन वर्ष बीत गए हैं। इससे अब तक 175 से ज्यादा सर्जरी की जा चुकी है लेकिन पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट शुरू किया जाएगा। प्रदेश में तो इलाज निशुल्क मिल रहा है लेकिन दूसरे राज्यों को भी फायदा हो इसके लिए पैकेज तैयार किए जा रहे हैं। इसकी फाइल सरकार को भेजी गई है।डमी अभ्यर्थी के जरिए रेलवे में पाई नौकरी, सीबीआई ने राजस्थान के 3 जिलों में की छापेमारी
गर्व की बात
रोबोटिक रीनल किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा देश के किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध नहीं है। एसएमएस देश का पहला ही होगा। इस तरह के ट्रांसप्लांट का निजी अस्पतालों में दस लाख तक खर्चा आता है। गर्व की बात है कि अब यह यहां शुरू हो रही है। इसके लिए कुछ विशेष इक्यूपमेंट्स मंगवाए गए हैं, जो कुछ दिन में उपलब्ध हो जाएंगे। उसके बाद इस तकनीक से किडनी ट्रांसप्लांट शुरू हो जाएगा।-डॉ. शिवम प्रियदर्शी, एचओडी, यूरोलॉजी विभाग, एसएमएस मेडिकल कॉलेज