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नागौर

हथियारों का अंतिम संस्कार, सबूत के तौर पर लोहा-पीतल मुख्यालय को सौंपा

बरसों कैद काटी, रिहा भी हुए तो चढ़ा दिए गए सूली पर। कोई हत्या में शामिल था तो कोई लूट-डकैती या फिर बलवे में। इन्हें वारदात के दौरान काम में लेने वालों का क्या हुआ, यह तो पता नहीं पर इन्हें ऐसी सजा मिलेगी कौन जानता था।

नागौरFeb 23, 2025 / 08:05 pm

Sandeep Pandey

नागौर में पहली बार, सात दिन तो लगे 1397 हथियारों की अन्त्येष्टि में

निकला 24 क्विंटल लोहा व एक क्विंटल पीतल मुख्यालय भेजा

एक्सपोज
नागौर. बरसों कैद काटी, रिहा भी हुए तो चढ़ा दिए गए सूली पर। कोई हत्या में शामिल था तो कोई लूट-डकैती या फिर बलवे में। इन्हें वारदात के दौरान काम में लेने वालों का क्या हुआ, यह तो पता नहीं पर इन्हें ऐसी सजा मिलेगी कौन जानता था। इनके पक्ष में ना कोई वकील रहा ना ही इन्हें सफाई का मौका मिला। कई बार उनकी जमानत हो गई, जिन्होंने इनका इस्तेमाल किया था पर ये हमेशा बंद ही रहे । अब छूटे भी तो हमेशा खत्म होने के लिए। ये दो-चार नहीं थे, अच्छी-खासी संख्या रही। इनको सजा देने में भी खासा वक्त लगा। सबूत के तौर पर इनके अवशेष भी मुख्यालय तक जमा कराए गए। इनमें गैंगस्टर आनंदपाल/लेडी डॉन अनुराधा समेत अनेक अपराधियों के कुछ मामलों में खास रहे शामिल थे। यह कहानी है अपराधियों के काम लिए गए विभिन्न हथियारों की।
रोजमर्रा में लोग अपराधियों के साथ पुलिस व अदालत ने क्या किया, इसी से रूबरू होते हैं। आरोपी को जमानत मिली या नहीं, सजा मिली तो क्या? अखबार/चैनल ही नहीं अब सोशल मीडिया पर भी यह खबरें आम होती है। बहुत कम लोग जानते हैं कि आपराधिक वारदात करने वाले हथियारों का अंत क्या होता है? इन्हें सजा मिलती है या फिर हमेशा के लिए जमा कर लिए जाते हैं। हथियार वैध हो या अवैध, देशी हो या विदेशी या फिर पिस्टल हो या कट्टा/चाकू। लोग यही जानते हैं कि वारदात में प्रयुक्त हथियार पुलिस ने जब्त कर लिया है या फिर हथियार को मालखाने में जमा करा दिया है। पुलिस की नौकरी करने वाले कई लोगों को बरसों बाद तक यह नहीं मालूम था कि हथियारों को भी कैद से आजादी मिलती है पर हमेशा दफन होने के लिए।
इस बार नागौर पुलिस भी इस विशेष काम में जुटी रही। उन्हें मुख्यालय से टॉस्क मिला था। इसमें अपराध के मामलों में जब्त हथियारों को भी ठिकाने लगाना है। एसपी नारायण टोगस के निर्देश पर एएसपी सुमित कुमार व नागौर सीओ रामप्रताप विश्नोई के नेतृत्व में काफी खामोशी से इस काम की शुरुआत हुई। इसका आगाज 22 जनवरी को हुआ। निस्तारित मामलों के पुलिस लाइन में जब्त रखे हथियारों की हिस्ट्री निकाली गई। मामले के निस्तारण के साथ उनकी छंटाई शुरू हुई। करीब एक पखवाड़ा तक यह काम चला, फिर इनको ठिकाने का सिलसिला शुरू हुआ। हफ्ते भर में कई पुलिसकर्मियों ने हथियारों का अंतिम संस्कार किया।
अनेक जिंदगी लील ली…
सूत्र बताते हैं कि हत्या समेत अन्य अपराध में शामिल 1397 हथियार का 22 जनवरी से भौतिक सत्यापन शुरू हुआ। सात फरवरी से इन्हें ठिकाने लगाने का काम शुरू किया। इसमें करीब एक हफ्ता लगा। इनमें रिवाल्वर/राइफल, दुनाली बंदूक, देशी कट्टा ही नहीं चाकू/कुल्हाड़ी समेत अन्य धारदार हथियार भी थे। अवैध देशी कट्टों की तादात भी अच्छी खासी थी, जो अपराध के बाद जब्त हुए या फिर अपराध करने से पहले। इन हथियारों में से करीब 300 जिंदगी खत्म की गई।
तोड़ा-बिखेरा फिर लोहा-पीतल जमा कर मुख्यालय भेजा
सूत्र बताते है कि हर हथियार को तोड़ा गया। अलग-अलग कर लोहा-पीतल छांटा गया, लकडिय़ां आग के हवाले की गई। इन हथियारों से करीब 24 क्विंटल लोहा व एक क्विंटल पीतल निकली। इन्हें पुलिस मुख्यालय भेजा गया। इसके अलावा करीब दो हजार कारतूस भी थे।
नागौर में पहली बार, पचास साल पुराने हथियार भी
सूत्र बताते हैं कि नागौर में इस तरह हथियारों को नष्ट करने का काम पहली बार हुआ है। छोटे स्तर पर कभी हुआ हो, ऐसी कोई जानकारी नहीं है। पुलिस मुख्यालय से इस बार सभी जिला पुलिस अधीक्षक को निस्तारित मामलों के जमा हथियारों का डिस्पोजल करने को कहा था। बताया जाता है कि इनमें कई हथियार पचास साल पुराने हैं।
इनका कहना..
मुख्यालय से निर्देश मिले थे कि निस्तारित मामलों के जमा हथियार डिस्पोजल करें। इसके लिए एएसपी सुमित कुमार व सीओ रामप्रताप विश्नोई समेत अन्य अफसरों की कमेटी बनाई थी। भौतिक सत्यापन के बाद ये हथियार डिस्पोजल कराए गए, लोहा-पीतल मुख्यालय को भेज दिया है।
-नारायण टोगस, एसपी, नागौर।

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