scriptOpinion : मरीज के इलाज से इनकार, जीवन से है खिलवाड़ | Opinion : | Patrika News
ओपिनियन

Opinion : मरीज के इलाज से इनकार, जीवन से है खिलवाड़

अंधविश्वास और धार्मिक कट्टरता कई बार जानलेवा साबित हो जाती है। ऐसे ही रूढि़वाद की वजह से अमरीकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की दूर की रिश्तेदार एक बारह वर्षीय बालिका को उसके परिजनों ने कोविड टीका नहीं लगवाया और इसी को आधार बनाकर अस्पताल ने बालिका का ह्रदय प्रत्यारोपण करने से इनकार कर दिया। अमरीका जैसे […]

जयपुरFeb 14, 2025 / 11:12 pm

Hari Om Panjwani

अंधविश्वास और धार्मिक कट्टरता कई बार जानलेवा साबित हो जाती है। ऐसे ही रूढि़वाद की वजह से अमरीकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की दूर की रिश्तेदार एक बारह वर्षीय बालिका को उसके परिजनों ने कोविड टीका नहीं लगवाया और इसी को आधार बनाकर अस्पताल ने बालिका का ह्रदय प्रत्यारोपण करने से इनकार कर दिया। अमरीका जैसे विकसित देश से आई यह खबर चिंता इसलिए पैदा करती है क्योंकि एक ओर धार्मिक कट्टरता जीवन रक्षा जैसे विषयों पर भी टीकाकरण जैसी आवश्यकता से परहेज करती दिखती है वहीं संबंधित अस्पताल की संवेदनहीनता भी नजर आती है, जिसमें जरूरतमंद के जीवन रक्षा उपायों की अनदेखी की जाती है। सब जानते हैं कि टीकाकरण की वजह से कई गंभीर बीमारियों का खतरा टलने लगा है। कोविड महामारी के दौरान तो दुनिया भर में टीकाकरण की जरूरत महसूस की गई थी।
इसमें भी संदेह नहीं कि टीकाकरण अभियान के की स्वीकार्यता ने जिंदगियों को बचाने का काम किया है। पिछड़े और अशिक्षित वर्ग तक ने टीकाकरण के महत्त्व को समझा है। लेकिन अमरीका जैसे हर पहलू से सक्षम और सदियों आगे की सोच रखने वाले देश में भी धार्मिक मान्यताओं पर आस्था का भाव जीवन पर हावी नजर आने लगे तो यह सचमुच चिंता की बात है। इससे भी बड़ी चिंता इस बात की भी है कि बालिका के जीवन की रक्षा करने के प्रयासों की बजाय अस्पताल प्रशासन ह्रदय प्रत्यारोपण से सिर्फ इसी आधार पर इनकार कर दे कि मरीज ने कोविड टीका नहीं लगाया। यह बात सच है कि टीकाकरण कराने वालों को कई मामलों में संक्रमण की आशंका अपेक्षाकृत कम होती है। अस्पताल के इनकार करने का कारण भी हो सकता है यही रहा हो लेकिन चिकित्सा संस्थानों का पहला दायित्व मरीजों की जान बचाना होना चाहिए। यदि टीका न भी लगा हो तो सिर्फ इसी आधार पर उपचार से इनकार करना संवेदनहीनता ही कहा जाएगा।
सवाल सिर्फ कोविड टीके का ही नहीं, बाल्यावस्था से ही लगाए जाने वाले कई दूसरे टीकों की वजह से बीमारियों पर काबू पाना ज्यादा आसान हुआ है। कोविड टीकाकरण को लेकर भ्रांतियां कम नहीं थी, लेकिन यह साफ हो चुका है कि कोविड का टीकाकरण अमृत समान था। जीवन संकट में आ जाए, तो न तो टीकाकरण से परहेज करने की और न ही इस आधार पर इलाज से इनकार करने की बात होनी चाहिए। सामाजिक रूप से जितनी जिम्मेदारी अभिभावकों की रूढि़वाद से दूर रहने की है तो उससे भी अधिक दायित्व चिकित्सा संस्थानों का भी जीवन बचाने को लेकर बनता है। प्रगति के हर मोर्चे पर आगे रहने के बावजूद इसकी अवहेलना की जाती है तो इसका अर्थ यही समझा जाना चाहिए कि जीवन सर्वोपरि का सबक सीखने व सिखाने में कहीं कोई कसर रह गई है।

Hindi News / Prime / Opinion / Opinion : मरीज के इलाज से इनकार, जीवन से है खिलवाड़

ट्रेंडिंग वीडियो