नया सिस्टम लागू हुआ तो आने वाले दस साल के लिए बिजली संबंधी सारी व्यवस्थाएं निजी कम्पनी के हाथ में रहेगी। बिजली निगम सिर्फ जीएसएस तक बिजली पहुंचाने का काम करेंगे, जबकि जीएसएस से उपभोक्ताओं तक बिजली देने का काम निजी कम्पनी के हाथों में होगा। ऐसे में संभव है कि आमजन की समस्याओं, शिकायतों को उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाएगा, जितना सरकारी सिस्टम में लिया जाता है। नए सिस्टम में कर्मचारी निजी कम्पनी के होंगे, ऐसे में निगम के सरकारी कर्मचारी कहां जाएंगे, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
यह रहेगी भुगतान की व्यवस्था
डिस्कॉम की ओर से पहली बार में कम्पनी को 50 फीसदी राशि दी जाएगी, वहीं बाकी राशि किस्तों में दी जाएगी। कम्पनी को काम सौंपने से पहले निगम की ओर से विद्युत तंत्र की सारी सामग्री हस्तांतरित की जाएगी। इसके बाद हर तरह की सामग्री निजी कम्पनी के कब्जे में होगी। कर्मचारी भी निजी कम्पनी के होंगे।
ताज्जुब की बात, कर्मचारियों मौन क्यों?
बिजली निगम में कई काम निजी हाथों में जा चुके हैं। जो कुछ बचे हैं, वे अब नए मॉडल के तहत चले जाएंगे। ताज्जुब की बात है कि अपने वेतन-भत्तों के लिए प्रदर्शन करने वाले कर्मचारी संगठन सबसे बड़े निजीकरण पर चुप हैं। एक कर्मचारी नेता से पूछा तो उन्होंने नए मॉडल के बारे में अनभिज्ञता जताई।
नए सिस्टम में ये काम कराएंगे
– बिजली सिस्टम और उपभोक्ताओं का सर्वे कराया जाएगा – नए फीडर बनाएंगे और पुराने फीडर को अलग करेंगे – बिजली सिस्टम का मेंटिनेंस और संचालन किया जाएगा – मीटर लगाने के साथ ही बिजली आपूर्ति भी की जाएगी
टॉपिक एक्सपर्ट
डिस्कॉम एरिया में 13000 करोड़ से अधिक की राशि खर्च करने से पहले निगम प्रबंधन को पूर्ण विवरण देना चाहिए था। राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग में याचिका पेश कर हितधारकों को समझकर टिप्पणी-सुझाव मांगने थे। विचार-विमर्श का मौका दिया जाना चाहिए। सिस्टम निजी कम्पनियों को दिए जाने पर विद्युत निगम के कर्मचारी भी प्रभावित होंगे। ऐसे में कर्मचारियों से भी विचार विमर्श करने के बाद ही इस पर कार्रवाई होना उचित होगा। -इंजि. वाई.के. बोलिया, रिटायर्ड एसइ व ऊर्जा सलाहकार